उत्तर कोरिया में अब तानाशाह किम जोंग उन (36) के अगले उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कुछ दिन पहले उनकी बहन किम यो जोंग को किम का अगला उत्तराधिकारी बताया गया था। वहीं, अब इसके लिए उनके चाचा किम प्योंग ईल को सही व्यक्ति बताया जा रहा है। 65 वर्षीय किम प्योंग इल उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग के आखिरी जीवित बचे बेटे हैं। इन्होंने करीब 40 साल उत्तर कोरिया से बाहर के देशों में बताए हैं। वे हंगरी, बुल्गारिया,फिनलैंड, पोलैंड और सेज रिपब्लिक में उत्तर कोरिया के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। किम प्योंग पिछले साल ही रिटायर होकर देश में लौटे हैं। इसके बाद से ही वे हाउस अरेस्ट में रह रहे हैं।
किम जोंग इस साल 15 अप्रैल को अपने दादा किम इल सुंग की याद में होने वाले सालाना कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे। इसके बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की खबरें आईं थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी मौत होने की बात तक कही गई थी। पिछले कुछ दिनों से उनके अगले उत्तराधिकारी को लेकर बहस शुरू हो गई है।
पुरूष होना और किम परिवार से खून का संबंध किम प्योंग के हक में
उत्तर कोरिया के स्थापना के बाद से ही किम प्योंग इल को देश के अगले शासक के तौर पर देखा जाता रहा है। मौजूदा समय में जब उनके भतीजे किम जोंग के स्वास्थ्य को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, किम प्योंग का नाम सामने आ रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि वे एक पुरुष हैं। उत्तर कोरिया की सत्ता में पुरूषों का दबदबा है। किम प्योंग का मौजूदा तानाशाह से खून का रिश्ता भी है। ये दोनों बातें उन्हें अगले शासक के बनने के लिहाज से उपयुक्त बनाती हैं। ब्रिटेन में उत्तर कोरिया के राजदूत रह चुके थेई येंग हो के मुताबिक किम जोंग की बहन को महिला होने उम्र कम (30) की वजह सत्ता हासिल करने में कठिनाई हो सकते हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के पुरुष सदस्य उनका विरोध कर सकते हैं।
कुछ विशेषज्ञ नकार भी रहे हैं किम प्योंग की दावेदारी
किम प्योंग के सत्ता में आने की बात को कुछ विशेषज्ञ नकार भी रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि किम प्योंग लंबे समय से दूर रहे हैं। ऐसे में देश के शासन तंत्र और मीडिया पर उनकी पकड़ मजबूत नहीं है। दक्षिण कोरिया की संसदीय खुफिया समिति के सदस्य कम बयोंग-की के मुताबिक, ऐसा संभव नहीं है। इस प्रकार के कयास पर मुझे हंसी आती है। ऐस भी कहा जा रहा है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो देश के कई मौजूदा अधिकारियों को दिक्कतें हो सकती थी। इनमें से कई ऐसे भी अधिकारी है जो किम जोंग के शासन के दौरान उनके देश वापसी के खिलाफ काम करते रहे