
हर खबर पर नजर
#आ_अब_लौट_चलें..
भरतपुर। एनसीआर क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टों की चिमनी से इस साल मात्र 122 दिन में ही धुआं निकलाना बन्द हो गया। करीब 60 प्रतिशत से अधिक एनसीआर क्षेत्र के ईंट भट्टों से श्रमिकों की घर को वापिसी हो गई है। शेष ईंट भट्टों से भी धीरे-धीरे श्रमिकों का जाना जारी है। ये श्रमिक अपने परिवार सहित देश के कई राज्यों से दशहरा से दीपावली पर्व के आसपास आते है और गुरू पूर्णिमा से रक्षाबन्धन पर्व तक अपने घरों को लौट जाते है। जब ये गांव व घर से आते है और 7 से 8 माह के बाद लौटते है, तो सभी के चेहरे पर खुशियां नजर आती है। जिन्हे ईंट भट्टा मालिक, मुनीम व अन्य कर्मचारी श्रमिकों के द्वारा किए गए कार्य का हिसाब कर मिष्ठान व वस्त्र देकर निजी वाहनों में सवार कर रवाना करते है। अधिकांश श्रमिको के मुख से एक ही वाक्या सुनने को मिलता है कि “आ अब लौट चले।” ये भले ही एक फिल्म का नाम है लेकिन ईंट भट्टों से लौट रहे श्रमिकों के दृश्य पर सटीक साबित हो रहा है। उत्तरप्रदेश के एटा जिले के गांव मदनपुरा निवासी ईंट भट्टा श्रमिक रामपाल जाटव ने बताया कि 7-8 महीने हो गए गांव से आए, अब गांव की याद सताती है। गांव पहुंचते ही खरीफ की उगाई करेंगे और गांव के लोग व परिवार के अन्य सदस्य एवं रिस्तेदारों से मिलन होगा। हरियाणा प्रान्त के पलवल जिले के गांव दीघौठ निवासी चन्द्रकला ने बताया कि दशहरा पर्व के बाद अब गांव जा रहे है। वहां घर को सभांला जाएगा और बच्चों की शादी करेंगे। साथ ही खेती का कार्य। ईंट भट्टा संचालक चंचल जिन्दल व सतीश जिन्दल ने बताया कि भरतपुर जिले के वैर, नदबई, भुसावर व नगर उपखण्ड क्षेत्र में ही भट्टे संचालित है। भरतपुर जिला के एनसीआर क्षेत्र में आने के चलते 1 मार्च से भट्टे की चिमनी से धुआं निलकता है और ये भट्टे चालू होते है। ऐसा होने से भरतपुर जिले को ईंट भट्टा कारोबार चौपट हो गया है। एनसीआर के नियम से जिले में साल 2000 से 2024 तक करीब 180 ईंट भट्टे बन्द हो गए। वर्ष 2022 में 55, वर्ष 2023 में 43 तथा वर्ष 2024 में अभी तक 21 भट्टे बन्द हो चुके है। साल 2025 में भी कई भट्टे बन्द हो सकते है। ईंट भट्टा मालिक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष सन्तोष चौधरी व पंकज बिजवारी ने बताया कि एनसीआर क्षेत्र में भरतपुर जिले का आना और कठोर नियम के कारण जिले के अनेक उद्योग बन्द हो गए। अब ईंट उद्योग धन्धा भी बन्द होने के कगार पर है। यदि भरतपुर जिले के उपखण्ड वैर, भुसावर, नदबई, नगर आदि एनसीआर क्षेत्र के निकले और राजस्थान प्रान्त में एक साथ ईंट भट्टों की जलाई शुरू हो, तभी ईंट सस्ती होगी और ईंट भट्टा कारोबार प्रगति करेगा। ऐसा होने से लोगों को रोजगार भी प्राप्त होंगे। ईंट भट्टा संचालक चंचल अग्रवाल हलैना वाले एवं बिजेन्द्र चौधरी हन्तरा ने बताया कि ईंट भट्टों पर कार्य करने के लिए स्थानीय एवं राजस्थान के कई जिले सहित उत्तरप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, दिल्ली, गुजराज, पंजाब आदि प्रान्तों से श्रमिक आते है। श्रमिकों को लाते वक्त उन्हे एडवांस में पैसा दिया जाता है और जब ये लौटते है, उस वक्त कार्य के हिसाब से पैसा की लेनदेन करते है। साथ ही आगामी साल के लिए भी एडवांस पैसा दिया जाता है। जिससे ये समय पर आ जाए और कार्य शुरू कर दे।