सरकारी बेरूखी से त्रस्त ग्रामीणों ने खुद शुरू किया सड़क निर्माण कार्य, बोले-ऊबड़ खाबड़ रास्तों से आवागमन में होती परेशानी

सरकारी बेरूखी से त्रस्त ग्रामीणों ने खुद शुरू किया सड़क निर्माण कार्य, बोले-ऊबड़ खाबड़ रास्तों से आवागमन में होती परेशानी

इन्हे भी जरूर देखे

सरकारी बेरूखी से त्रस्त ग्रामीणों ने खुद शुरू किया सड़क निर्माण कार्य, बोले-ऊबड़ खाबड़ रास्तों से आवागमन में होती परेशानी

 

 

बयाना 11 फरवरी(अमन झालानी)। आजादी के 77 साल बाद भी डांग इलाकों में ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बयाना उपखण्ड मुख्यालय से डांग क्षेत्र के घुनैनी, ज्ञानी का बेड़ा होकर करौली जिले के नवलापुरा, डांडा गाँव तक आजादी के बाद से ही सड़क नहीं होना मखमल में टाट के पैबन्द जैसा ही है।उपखण्ड मुख्यालय से सिर्फ 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन 8 गांवों को जोड़ने वाली 12 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर उबर खाबर गड्ढे बने हुए हैं। नवलपुरा महाकाल आश्रम के पीठाधीश्वर संत रुद्रनाथ महाकाल के आंदोलन के बाद 2 साल पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने यहां सड़क निर्माण के लिए 12 करोड रुपए की राशि जारी की थी। लेकिन वन विभाग की सीमा में आने के कारण इस सड़क का निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इससे आक्रोशित होकर ग्रामीणों ने अब अपने गांव की सड़कों को खुद ही सुधारने का बीड़ा उठाया है। वन विभाग के अड़ंगा के कारण सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, जिससे ग्रामीणों में मायूसी छाई हुई है।

सरकारी अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों से गुहार लगाकर थक चुके ग्रामीणों ने नवलापुरा स्थित अनहद महायोग पीठाधीश्वर सन्त रूद्रनाथ विशाल महाकाल की प्रेरणा से अपने स्तर पर ही सड़क बनाने का बीड़ा उठाया है। डांडा गांव, नवलापुरा, गाजीपुर, कोलूपुरा, बौहरा का बेड़ा, ज्ञानी का बेड़ा, ताली, सादपुरा, बरवाना, सकरघटा आदि गांवों के हर घर से दो-दो सदस्यों को लेकर एक टीम बनायी और शुरू कर दिया सड़क का निर्माण। इन गांवों से आये ग्रामीणों ने फावड़े, कुदाली आदि लेकर स्वयं के स्तर पर चन्दा एकत्रित कर मौरम बिछाकर सड़क मार्ग को चलने लायक बनाने के लिये काम शुरू कर दिया है। मंगलवार को भी खुशीराम, लवकुश, लोकेश गुर्जर, वेदप्रकाश शर्मा, भूरा गुर्जर, उदयभान, हाकिम पटेल, सन्तराम, हरकेश, सूबेदार अतर सिंह, निमास, मुनीम, नहने गिरी, बब्बी के नेतृत्व में सड़क को कई ब्लॉक्स में बांटकर सड़क पर मौरम बिछाकर चलने योग्य बनाने का काम किया जा रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के गोबर खाबड़ गढ़ों की वजह से गर्भवती महिलाओं का अस्पताल पहुंचने से पहले ही प्रसव हो जाता है रास्ते खराब होने से गांव के बेटे बेटियों की शादियां नहीं हो पा रही है इससे गांव में विवाहित युवक युवतियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को उबड़ खाबड़ रास्तों पर भेजना दूभर हो जाता है, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई बीच में ही छूट रही है। ग्रामीण ने बताया कि रोजमर्रा के कार्यों के लिए उन्हें बयान उपखंड मुख्यालय जाना पड़ता है, लेकिन रास्ते खराब होने से बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है।उधर इस संबंध में सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक्सईएन बृजमोहन का कहना है कि यह सड़क दो जिलों की सीमा में आ रही है। जिसे विभाजित करने के लिए सरकार के पास मंजूरी के लिए प्रस्ताव बना कर भेजे गए थे। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही सड़क का निर्माण काम शुरू होगा। वहीं यह सड़क वन विभाग के जमीन में आ रही है ऐसे में वन विभाग से भी मंजूरी मिलने का इंतजार है। इस संबंध में विधायक ऋतु बनावत का कहना है कि ग्रामीणों की मांग जायज है कुछ तकनीकी खामियों की वजह से सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। सरकार की मंजूरी के लिए वह इस संबंध में सीएम साहब के लगातार संपर्क में हैं।

इन्हे भी जरूर देखे

Must Read