वजन घटाने की कोशिशों में जुटे हैं? कैलोरी में कटौती से लेकर एक्सरसाइज तक सब आजमाकर देख लिया, पर मोटापा पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा? अगर हां तो एक बार लो-कार्ब डाइट आजमाकर देखें। 2020 यूरोपियन एंड इंटरनेशनल ओबेसिटी कांग्रेस में पेश एक डच अध्ययन में कार्बोहाइड्रेट से परहेज को बढ़ते वजन पर काबू पाने में सबसे असरदार करार दिया गया है। खासकर टाइप-2 डायबिटीज से जूझ रहे या खतरे के निशान पर पहुंचे लोगों में।
शोधकर्ताओं के मुताबिक मोटापे के शिकार 75 फीसदी लोग इस बात से अनजान होते हैं कि उनमें इंसुलिन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। दरअसल, ‘इंसुलिन रेजिस्टेंस’ पनपने पर शरीर में पहुंचने वाली शक्कर ऊर्जा में तब्दील नहीं हो पाती। इससे फास्टफूड, मीठे और तैलीय पकवानों से दूरी बनाने तथा जिम में घंटों पसीना बहाने के बावजूद वजन घटाने के अभियान में कुछ खास कामयाबी नहीं मिल पाती है। मोटापे पर नियंत्रण हासिल करने के लिए व्यक्ति का कार्बोहाइड्रेट की मात्रा में कमी लाना जरूरी हो जाता है।
प्रोफेसर एलेन गोवर्स के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित 380 वयस्कों पर ‘कैलोरी रिस्ट्रिक्शन डाइट’, ‘लो कार्ब डाइट’ और ‘6*6 डाइट’ का असर आंका। ‘6*6 डाइट’ में तीन चरणों में कार्बोहाइड्रेट के सेवन में कमी लाई जाती है। प्रतिभागी के जहां प्रोसेस्ड खाने पर पूर्ण पाबंदी होती है। वहीं, प्रोटीन और फाइबर की खुराक बढ़ाते हुए उसे तीनों पहर के खाने में सब्जी जरूर शामिल करने की सलाह दी जाती है।
एक साल बाद गोवर्स और उनके साथियों ने पाया कि ‘6*6 डाइट’ वजन घटाने में ‘कैलोरी रिस्ट्रिक्शन डाइट’ से दोगुना ज्यादा असरदार थी। इससे इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ाने और रक्तचाप नियंत्रित रखने में भी मदद मिली, वो भी बिना किसी दवा के। बकौल गोवर्स, अध्ययन से साफ है कि डायबिटीज, प्री-डायबिटीज, मेटाबॉलिक सिंड्रोम सहित इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे मरीजों में वजन घटाने के लिए सिर्फ कैलोरी में कमी लाना काफी नहीं है। कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, फाइबर सहित विभिन्न मैक्रो और माइक्रो पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति सुनिश्चित करना भी बेहद जरूरी है।
‘6*6 डाइट’ सबसे ज्यादा फायदेमंद-
-‘6*6 डाइट’ में कैलोरी में कटौती पर जोर नहीं दिया जाता है। व्यक्ति को गुड फैट से लैस खाद्य वस्तुएं, मसलन मछली, बादाम, ऑलिव ऑयल, फलियां और अंकुरित अनाज खाने की पूरी छूट होती है। हालांकि, प्रोसेस्ड फूट खाने की मनाही रहती है। कार्बोहाइड्रेट से पूर्ण परहेज से इसलिए रोका जाता है, ताकि ग्लुटेन एलर्जी न विकसित हो। इसमें शरीर कार्बोहाइड्रेट पचाने की क्षमता खो देता है।
तीन चरण में होती है डाइटिंग-
-पहले चरण में दिनभर में 36 ग्राम से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट नहीं लेना होता। वहीं, प्रोटीन की खुराक 1.2 ग्राम प्रति किलोग्राम शारीरिक वजन के बराबर लानी होती है। जब मोटापे में उल्लेखनीय कमी आने लगे तो दूसरे चरण में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा थोड़ी बढ़ा दी जाती है। वहीं, तीसरे चरण में जब वजन कटौती का लक्ष्य पूरा हो जाए तो व्यक्ति सामान्य मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेने लगता है।
लाजवाब असर-
-46.9% प्रतिभागी सालभर में 5% या उससे अधिक वजन घटाने में कामयाब हुए
-40% का ब्लड शुगर सामान्य हो गया, रक्तचाप में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई
-30% थी ब्लड शुगर तो 40% थी वजन घटाने वालों की संख्या लो-कार्ब डाइट ग्रुप में
-50 से 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेने की इजाजत होती है इस डाइट में, कैलोरी में कमी पर ज्यादा जोर रहता है