Home प्रदेश एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध पर 84 दिन से चल रही चादर, राजस्थान के 84 गांवों को जल्द मिलेगी खुशखबरी

एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध पर 84 दिन से चल रही चादर, राजस्थान के 84 गांवों को जल्द मिलेगी खुशखबरी

एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध पर 84 दिन से चल रही चादर, राजस्थान के 84 गांवों को जल्द मिलेगी खुशखबरी

Morel Dam Latest News: एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध पर 84 दिन से लगातार चादर चल रही है। ऐसे में जल्द ही राजस्थान के दो जिलों के हजारों किसानों को बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है।

Dausa News: लालसोट। रबी की फसल की बुवाई में जुटे दौसा व सवाई माधोपुर जिले के करीब सात दर्जन से अधिक गांवों के हजारों किसानों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। दौसा जिले का सबसे बड़ा एवं एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध मोरेल बांध की नहरों में शीघ्र ही पानी छोड़ा जाएगा, जिससे इन नहरों से जुड़े दौसा व सवाई माधोपुर जिलों के हजारों किसान लाभान्वित होंगे।

नहरों में पानी कब छोड़ा जाएगा इस बारे में इसी सप्ताह के आखिरी में या आगामी सप्ताह की शुरुआत में ही जल वितरण कमेटी की बैठक में निर्णय होगा। बैठक का आयोजन सवाई माधोपुर जिला कलक्ट्रेट सभागार में होगा, जिसमें दोनों जिलों के प्रशासनिक एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ जल वितरण कमेटी के सदस्य भी शिरकत करेंगे।

जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि किसानों ने मोरेल नदी की नहरों से पानी छोड़ने की मांग की है, नहरों में पानी छोड़ने को लेकर बांध की पूर्वी नहर के जल वितरण प्रबंध समिति के अध्यक्ष नानजी राम मीना बरनाला की ओर से लिखित मेें मांग पत्र मिला है। इसके आधार पर विभाग के अधीक्षण अभियंता को पत्र भेजकर सूचित किया जा चुका है, पत्र में बताया है कि जल उपभोक्ता संगम के अध्यक्षों द्वारा जल वितरण कमेटी की बैठक 10 नवम्बर से पूर्व रखने की मांग की गई है।

14 अगस्त से लगातार चल रही चादर

इस बार मानसून की जोरदार मेहरबानी के चलते मोरेल बांध पांच साल बाद एक बार पूरा भरा है, बांध पर इस बार 14 अगस्त को चादर चली थी, इसके बाद से लेकर मंगलवार तक लगातार बांध की वेस्ट वेयर पर पानी बहकर मोरेल नदी में जा रहा है। मंगलवार को भी करीब आधा इंच की चादर चल रही है, जिस दिन बांध की नहरों में पानी छोड़ा जाएगा, उसके बाद चादर चलना भी बंद हो जाएगा।

अंतिम छोर तक पहुंचेगा

 

जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि बांध का वर्तमान गेज 30 फीट है, जिसके चलते 2707 एमसीएफटी पानी में से डेढ़ स्टोरेज 211 एमसीएफटी को छोड़कर शेष 2496 एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध है। बांध में पर्याप्त पानी होने के चलते इस बार दोनों नहरों में टेल तक किसानों को पानी पहुंचेगा। नहरों में पानी छोड़ने से पूर्व आवश्यक तैयारियां की जा चुकी है

15 नवंबर से पहले छोड़ा जाए पानी

जल प्रबंध समिति के अध्यक्ष नानजी राम मीना ने बताया कि उन्होंने जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता को एक पत्र लिखकर बताया कि वर्ष 2024 -25 के अंतर्गत रबी फसल की बुवाई व सिंचाई के लिए किसानों को पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मोरल बांध की पूर्वी नहर में 10 नवंबर से 15 नवंबर तक पानी छोड़ना सुनिश्चित किया जाएं। उन्होंने बताया कि नहरों में जल वितरण से पूर्व साफ सफाई, मरम्मत कार्य व माइनरों पर गेट इत्यादि की संपूर्ण व्यवस्था